नर्सरी, गुणवत्ता और मार्केटिंग से होगा संतरा उत्पादकों का विकास

नागपुर. उत्तम नर्सरी, संतरे की गुणवत्ता और प्रभावी मार्केटिंग—इन तीन सूत्रों के माध्यम से विदर्भ के किसानों को उत्पादन और आमदनी बढ़ाना संभव है, ऐसा विश्वास केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री  नितिन गडकरी ने व्यक्त किया। वे अ‍ॅग्रोव्हिजन फाउंडेशन द्वारा वनामती सभागार में आयोजित संतरा उत्पादक किसानों की कार्यशाला में किसानों से संवाद कर रहे थे। इस अवसर पर राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे, विधायक डॉ. आशीष देशमुख, डॉ. संजय कुटे, दादाराव केचे, सुमित वानखेडे, चरणसिंह ठाकुर, प्रताप अडसड, श्याम खोडे, उमेश यावलकर, सीआरआरआई के निदेशक डॉ. घोष, वरिष्ठ कृषि विशेषज्ञ डॉ. सी. डी. मायी, अ‍ॅग्रोव्हिजन फाउंडेशन के सचिव रवी बोरटकर, रमेश मानकर, आनंदराव राऊत, सुधीर दिवे आदि उपस्थित थे। कार्यशाला में विदर्भ के सभी जिलों से संतरा उत्पादक किसान शामिल हुए। गडकरी ने कहा, “स्पेन के वॅलेन्सिया में टँगो संतरे का प्रति एकड़ उत्पादन 25 से 30 टन है, जबकि विदर्भ में यह केवल 4 से 6 टन है। हमें यह उत्पादन 20 टन से अधिक तक पहुंचाने का संकल्प लेना चाहिए, जिससे विदर्भ की आर्थिक स्थिति पर सकारात्मक असर पड़ेगा।” उन्होंने कहा, “किसानों के सामने कई समस्याएं हैं, जिनसे बाहर निकलने के लिए सभी प्रयास कर रहे हैं। हमें असफलता से सीखना चाहिए और गहराई से अध्ययन करना चाहिए। हमारा उद्देश्य किसानों को समृद्ध बनाना, उनका उत्पादन और आय बढ़ाना है। विदर्भ का किसान जिज्ञासु और अध्ययनशील है, बस उसे सही मार्गदर्शन की जरूरत है।” उन्होंने यह भी कहा, “अच्छे बीज से ही रसीले फल आते हैं। यदि बीज ही खराब होगा तो फल मीठा कैसे होगा? इसलिए उत्तम नर्सरी और रोगमुक्त पौधे बहुत जरूरी हैं। स्पेन में एक हेक्टेयर में 820 संतरे के पेड़ होते हैं, जबकि हमारे यहां सिर्फ 340। उन्होंने उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ पैकेजिंग और मार्केटिंग पर भी ध्यान दिया, जिसके चलते वॅलेन्सिया का संतरा पूरी दुनिया में पहुंचा। व्यावसायिक दृष्टिकोण, गुणवत्ता, उत्तम नर्सरी और मार्केटिंग के सहारे हम भी यही कर सकते हैं।” उन्होंने ऑर्गेनिक खाद के उपयोग पर जोर देते हुए कहा, “खेत में वर्मीकम्पोस्ट, ऑर्गेनिक खाद और कम्पोस्ट तैयार करना चाहिए। यदि जमीन में ऑर्गेनिक कार्बन 0.75 या 0.80 प्रतिशत हो गया, तो विदर्भ का किसान जरूर समृद्ध होगा।” उन्होंने पानी के सुनियोजित उपयोग पर भी बल दिया। गडकरी ने यह भी सुझाव दिया कि जिन किसानों के पास 2 से 5 एकड़ जमीन है, वे बड़े प्रयोग नहीं कर सकते। यदि फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी बनाई जाए तो उससे कम खर्च में किराए पर यंत्र-सामग्री उपलब्ध हो सकती है।

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