
हैदराबाद. केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र द्वारा महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के माध्यमिक विद्यालयों के हिंदी अध्यापकों के लिए आयोजित 481वें नवीकरण पाठ्यक्रम का आज सफल समापन हुआ। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 17 मार्च से 29 मार्च 2025 तक चला, जिसमें कुल 16 शिक्षकों (महिला-03, पुरुष-13) ने भाग लिया। इस पाठ्यक्रम के दौरान शिक्षकों को भाषा विज्ञान, हिंदी व्याकरण, साहित्य, भाषा शिक्षण, शिक्षा मनोविज्ञान, भारतीय संस्कृति, सृजनात्मक लेखन और हिंदी में रोजगार की संभावनाओं पर विशेष प्रशिक्षण दिया गया। इस अवसर पर प्रो. गंगाधर वानोडे, डॉ. फत्ताराम नायक, डॉ. दीपेश व्यास, डॉ. सी. कामेश्वरी, डॉ. राजीव कुमार, डॉ. संध्या दास, डॉ. वी. वेंकटेश्वर राव और डॉ. अनुपमा ने विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिए। समापन समारोह में केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल, आगरा के उपाध्यक्ष प्रो. सुरेंद्र दुबे ने अध्यक्षता की, जबकि केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी मुख्य अतिथि रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में हैदराबाद विश्वविद्यालय के पूर्व समकुलपति प्रो. आर.एस. सर्राजु उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना से हुआ। स्वागत गीत प्रतिभागी अध्यापकों द्वारा प्रस्तुत किया गया। विशिष्ट अतिथि प्रो. आर.एस. सर्राजु ने वैश्विक परिदृश्य में भाषायी सामंजस्य की आवश्यकता पर बल दिया। मुख्य अतिथि प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने शिक्षकों से हिंदी प्रचार-प्रसार में योगदान देने की अपील की। प्रो. गंगाधर वानोडे ने शिक्षकों से वर्तनी शुद्धि और नई शिक्षा नीति के अनुरूप शिक्षण शैली विकसित करने पर जोर दिया। समापन समारोह के अध्यक्ष प्रो. सुरेंद्र दुबे ने कहा कि अंग्रेजी का प्रभाव भारतीय भाषाओं को कमजोर कर रहा है। उन्होंने नई शिक्षा नीति के तहत तीन भाषाओं के अध्ययन-अध्यापन को महत्वपूर्ण बताया और पुस्तकों से जुड़ने पर जोर दिया। पाठ्यक्रम प्रभारी डॉ. फत्ताराम नायक ने लोक संस्कृति पर आधारित गीत प्रस्तुत किया, जबकि डॉ. दीपेश व्यास ने शिक्षकों को नवाचारों को अपनाने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर संस्थान की पत्रिका “समन्वय दक्षिण” के जनवरी-मार्च 2024 अंक का विमोचन किया गया। प्रतिभागी नरेंद्र कन्नाके, आशिष बोधे और कु. संगीता यादव ने अपनी प्रतिक्रिया साझा की। देशभक्ति गीत, स्वरचित कविता और नृत्य प्रस्तुतियाँ भी हुईं। “चंद्रपुर की धरोहर” नामक हस्तलिखित लघु शोध पत्रिका का विमोचन किया गया। प्रतियोगिता में नरेंद्र गुरुदास कन्नाके को प्रथम, ज्ञानेश्वर पिंपले को द्वितीय, कु. संगीता यादव को तृतीय और गजानन निरंजन पुरी को प्रोत्साहन पुरस्कार मिला। कार्यक्रम का संचालन ज्ञानेश्वर पिंपले और धन्यवाद ज्ञापन कु. संगीता यादव ने किया। इस पाठ्यक्रम में तकनीकी सहयोग डॉ. संदीप कुमार और श्री सजग तिवारी ने दिया।