
नागपुर. कलाकारों द्वारा आधुनिक रिश्तों और सामाजिक मुद्दों की जटिलताओं को प्रस्तुत करने वाली चार प्रमुख एकांकी नाटकों का मंचन बहुभाषी नाट्य महोत्सव के दूसरे दिन किया गया। मराठी में प्रस्तुत ‘पासपोर्ट’ एकांकी ने आधुनिक दुनिया में रिश्तों की उलझनों को उजागर किया। हिंदी नाटक ‘झूलेलाल तू दया कर’ सिंधी समाजसेवक के जीवन और उनकी संस्कृति व परंपराओं पर आधारित थी। वहीं, ‘चल निघायची वेळ’ मराठी नाटक ने मृत्यु के बाद के जीवन की अवधारणा को दिखाया। इसके अलावा, ‘सफरनामा’ नाटक ने कॉर्पोरेट क्षेत्र में काम करने वाले तीन दोस्तों की कहानी पर प्रकाश डाला। इस महोत्सव का आयोजन कला सागर, एक सांस्कृतिक, साहित्यिक, सामाजिक, और शैक्षणिक संस्था द्वारा किया गया है। इसका आयोजन विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन के सहयोग से स्व. रामगोपाल माहेश्वरी सभागृह, मोर हिंदी भवन में किया जा रहा है। महोत्सव का उद्घाटन डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर समाजभूषण पुरस्कार प्राप्तकर्ता आनंद ठवरे, डिज़ाइन इनसाइड की सीईओ डॉ. नीशा तलवेकर, प्रा. दीपक कडू पाटील, और श्रीमती झेलम कटोच की उपस्थिति में हुआ। यह महोत्सव 25 अक्टूबर तक चलेगा, जिसमें हर शाम 6 बजे नागपुर, वर्धा, और अमरावती की विभिन्न संस्थाएं बहुभाषी नाटकों का मंचन करेंगी। महोत्सव का समापन और पुरस्कार वितरण 25 अक्टूबर को होगा।